जिला चित्रकूट, ब्लाक मानिकपुर, कस्बा मारकुण्डी मजरा किहुनिया। हिंया के महरनिया के मनसवा राजेश के मउत भे पन्द्रह बरस होइगे हवै। जबै से वा सब्जी बेच के आपन दुइ बिटियन का पेट पालत हवै। यहिनतान हर मेहरियन का हिम्मत से काम लंे का चाही।
महरनिया बताइस कि जबै से मोर मनसवा के मउत भे तबै से किराया से कमरा लइके रहत हौं अउर सब्जी बेंच के आपन बिटियन का पेट पालत हौं। मोर ससुराल वाले कउनौ मदद भी नहीं करत हवैं। मनसवा के मरैं के बाद खाना खर्चा खातिर एक-एक रूपिया का तरसत रहौं। या कारन मैं सोंचेव कि इनतान कसत चली। यहै से मैं हिम्मत कइके आपन सब्जी का धंधा करत हौं। या काम कइके मोर बिटिया अउर मैं सबै जन बहुतै खुश रहित हन। अब मैं कउनौ का भरोसा नहीं करत हौं।
हिम्मत से लेत काम
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