जिला महोबा, ब्लाक चरखारी, कस्बा चरखारी। एते सदर बाजार में किराये खा कमरा लेके रहे वाली रानी अपने बच्चन खा पेट केसे पालत हे। रोउत सिसकत आपन आप बीती कछू ऐसे बताउत हे।
मोई शादी पचीस साल पेहले बिहार में राजकुमार के साथ भई हती। शादी होय खे एक साल बाद कभऊं “ते नींक नइयां तो कभऊं काम नई करत आय को बहाना लेके मोये साथ मारपीट करन लगो। दो साल बाद मोये लड़का भओ। जब कहूं में खर्चा मांगत हती। तो मोये घर से निकारे की धमकी देत हतो। काय से ई बीचन बुरी संगत में पर के दारू गांजा ओर जुंआ लेखे जेसी गन्दी आदतें पकर लई हती। जभे चार साल बाद मोई बिटिया पेट में आई तो एक दिन कहन लगो कि चल तोये मताई बाप के एते होआ ले आऊं। जभे बिहार से आधी दूरी तक आ गये तो मोये चैराहा में बिठा के चलो गओ। मेंने एक रात तक ऊखो इंतजार करो। जभे राजकुमार लौट के नई आओ तो में अपने घरे आई एते मताई-बाप भी न हते। में चरखारी के गोवर्धन मेला प्रांगड़ में रहन लगी। ओते से मेने आदमियन खे घर में चैका बर्तन करके आपन ओर आपन बच्चन को पेट पालन लगी। अब दस साल में सदर बाजार चरखारी में किराये को कमरा लेके रहत हों, ओर बच्चन खा प्राईवेट स्कूल में पढ़ाउत हों, पे काम अभे भी आदमियन के घरे झाड़ू पोंछा ओर बर्तन मांजे खा करत हों। मेने अपनी जिंदगी से कभऊं हार नहीं मानी आय।
हिम्मत ओर मेहनत से पालत पेट
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