भारत एक कृषि प्रधान देष आय। सरकार कै कहब बाय कि किसानन का हर प्रकार कै सुबिधा मिलै का चाही लकिन किसानन के सामने समस्या कै अम्बार लाग रहा थै चाहे ऊ फसल सिंचाई का हुवय या फिर खेती से जुड़ी अन्य समस्या। सब काम तौ ठीक बाय लकिन अगर फसल कै सिंचाई न होये अउर फसल कै पैदावार न होये तौ भारत कृषि प्रधान देष कैसे कहा जाये।
जमीनी स्तर पै अगर देखा जाए तौ टृयूबवेल कै हालत बहुतै खराब बाय। कउनौ कै नाली टूट बाय तौ कउनौ कै मोटर फूंका बाय अउर कउनौ टृयूबवेल जर्जर पड़ा बाय। अब मनई का सिंचाई कै ज्यादा जरुरत बाय। गेहूं बोवाई, चना, आलू जैसे फसल सीचै कै सीजन बाय। अगर यहि समय पै सरकारी ट्यूबवेल बिगड़ा पड़ा रहे तौ किसानन कै फसल कैसे होये। किसानन कै समस्या तबै निपटे जब उनका सिंचाई खातिर बराबर पानी मिले। काहे से जल ही जीवन आय। किसान से सिंचाई कै पैसा तौ वसूल लीन जाथै चाहे वै सींचे रहैं चाहे नाय।
माना कि कुछ किसान आपन सुबिधा इंजन से कै लेहे अहैं उनकै पचीस रुपया घंटा लागा थै। लकिन जवन किसान सरकारी ट्यूबवेल के भरोसा अहैं उनके फसल कै सिंचाई कैसे होये। ई सोचै वाली बात बाय कि सरकार का किसान के समस्या का जल्दी खतम करब जरुरी बाय। नाहीं तौ नाम खातिर कृषि प्रधान देष आय।
हर तरफ से परेषान किसान
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