पहली बार सरकार देश में मौजूद डॉक्टरों और चिकित्सा सेवाओं का नक्शा खिचेगी। वो देखेगी कि कहां कितनी सेवाएं मौजूद है ताकि कमियों को पूरा किया जा सके। ये प्रोजेक्ट पहले ही चार जि़लों में पूरा किया जा चुका है। पूरे देश में इसे पूरा करने का खर्च 100 करोड़ के करीब हो जाएगा।
इस काम को ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ के साथ मिलकर किया जा रहा है। स्वास्थ्य के लिए नीति बनाने में सबसे बड़ी रुकावट भारत में मौजूद स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में आकड़ों का अभाव है। ये सभी को पता है कि शहरी इलाकों में ग्रामीण इलाकों की तुलना में कहीं आसानी से डॉक्टर मिल जाते है मगर कभी उनकी मौजूदगी का पता लगाकर उसके हिसाब से नीति बनाने की कोशिश नहीं की गई। अभी तक जिन चार जि़लों में काम किया गया है वे हैं – हज़ारीबाग (झारखण्ड), वेल्लोर (तमिलनाडु) , डूंगरपुर (राजस्थान) दिमापुर (नागालैंड)। इस प्रोजेक्ट में दोनों सरकारी और निजी स्वास्थ्य सेवाओं का खाका खींचा जा रहा है और कैमिस्टों की उपलब्धता भी देखी जा रही है।
पहले स्तर में सरकार 8 राज्यों को देखने का प्लान बना रही है हालांकि अभी उन्हें चुना नहीं गया है। सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश और बिहार को, जो स्वास्थ्य के मामले में काफी पिछड़े हुए है, प्राथमिकता पर लिया जायेगा। ‘एक बार ये काम £त्म हो जाएगा तो स्वास्थ्य सेवाओं से सम्बंधित आंकड़े, डॉक्टरों की संख्या, उनकी विशेषज्ञता, उनकी पढ़ाई-अनुभव, और ऐसी ही अन्य सूचनाएं कम्प्यूटर पर उपलब्ध होंगी’ सूत्र ने बताया।