जिला वाराणसी। यहां के कई गांव ऐसे हैं जहां स्वास्थ्य केन्द्र और उपकेन्द्र तो बने हैं लेकिन बन्द पड़े हैं।
ब्लाक काशी विद्यापीठ के सजोई गांव में रहने वाले सरिता, शान्ति, मोतीचन्द, मुन्ना का कहना है कि यहां दस हज़ार की आबादी में एक भी स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है। जिससे एक गर्भवती महिला के समय से अस्पताल ना पहुंचने पर उसके बच्चे की मौत हो गयी। ग्राम प्रधान राजेन्द्र का कहना है कि स्वास्थ्य केन्द्र बनवाने के लिए बजट तो आ गया लेकिन ज़मीन ना मिलने के कारण केन्द्र नहीं बन पाया। कोटवां में स्वास्थ्य केन्द्र तो है मगर दो साल से खुला नहीं है, मात्र शौचालय बनकर रह गया है।
ब्लाक चोलापुर के नियार अमित और सतीश का कहना है कि स्वास्थ्य केन्द्र की पैंतीस साल से मरम्मत नहीं हुई है। चिरईगांव के स्वास्थ्य केन्द्र में महिला वार्ड के शौचालय में ताला लगा रहता है।
सी.एम.ओ. एम.पी. चैरसिया से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इसके बारे में उन्हें जानकारी ही नहीं थी।
स्वास्थ्य केन्द्र पर एक नज़र
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