जि़ला बाँदा । देश मे जिन पुरानी इमारतों के इतिहास को लोग अपने देश की धरोहर समझकर सुरक्षित रखना चाहते हैं उन्हीं में कुछ लोगों का रोज़गार भी फैला हुआ है। यहां की एक मशहूर धरोहर स्योढ़ा किला नाम से जानी जाती है। जिस पर अब गांव के लोगों के द्वारा खेती की जा रही है।
गांव में पचास साल के राजकुमार बताते हैं कि यह हज़ारों साल पुराना किला है जिसमें अब ज्ञान प्रकाश गिरी का कब्ज़ा है हमारे पूर्वज बताया करते थे कि राजवाड़ों के ज़माने में यह गांव जि़ला था और एक बार यह गांव पूरा उजड़ गया था। काफी दिन बाद बसा है। ज्ञान प्रकाश गिरी कहते हैं कि सौ साल से इस किले में हमारा कब्ज़ा है। पहले यहां मुगलों ने राज किया है फिर राजा गुमान सिंह चन्देल ने राज किया। इसके बाद अग्रेंज़ी शासन हुआ। तब हमारी दादी के पिता कुवंर यदुराज गिरी ने पूरा गांव खरीदा था। जिसमें यह किला भी है। तब से यहां पर हमारा राज चलता आ रहा है। जब कानूनी व्यवस्था चालू हुई थी तब से कुवंर यदुराज गिरी ने चालीस साल प्रधानी की। वही लोग बताया करते थे कि यह गांव पहले जि़ला था और बड़ा शहर माना जाता था। अब 20 साल से मैं प्रधान हूं। यहां पर शहरों की तरह अलग-अलग मोहल्ले बने थे। किला नदी के किनारे था उस नदी को कर्ण नदी के नाम से जाना जाता था जो अब केन के नाम से चलती है। एक मोहल्ले को जुलाहों का मोहल्ला कहते थे वहां पर कपड़े बुने जाते थे और भी यहां कई तरह के काम होते थे। फिर इस गांव को तहसील बनाया गया। यह गांव एक बार बाढ़ या सूखा के कारण पूरा उजड़ गया था। काफी दिन बाद फिर से बसा है।
स्योढ़ा किले मे हो रही है खेती
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