नई दिल्ली। सोशल मीडिया यानी इंटरनेट पर बने फेसबुक और ट्विटर खाते पर विचारों को ज़ाहिर करने की आज़ादी पर पाबंदी लागाने वाली कानूनी धारा को खत्म कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार इस तरह की पाबंदी लगाने का मतलब है संविधान में मिले अभिव्यक्ति यानी अपने विचार रखने की आज़ादी पर पाबंदी लगाना। यह गैर संवैधानिक है। फैसले का सीधा मतलब है कि फेसबुक, ट्विटर समेत दूसरे सोशल मीडिया खातों पर की जाने वाली किसी भी टिप्पणी के लिए पुलिस आपको नहीं पकड़ेगी।
यह फैसला हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री आज़म खान पर एक छात्र द्वारा की गई टिप्पणी के बाद आया। यह छात्र ग्यारहवीं में पढ़ता था। आज़म खान के मीडिया प्रवक्ता की शिकायत में पुलिस ने उस लड़के को तुरंत हिरासत में लिया था।
क्या थी यह कानूनी धारा
यह धारा वेब पर अपमानजनक सामग्री डालने पर पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देती थी। इसमें सबसे बड़ी बात यह थी कि पूरी तरह से पुलिस ही यह तय करती थी कि कौन सी सामग्री आपत्तिजनक है और कौन सी नहीं।