नई दिल्ली। ‘सेल्फी’, यानी अपने फोन से खुद ही अपनी तस्वीर लेना, आज कल एक नया शौक है। इसकी लोकप्रियता बेहद तेज़्ाी से बढ़ गई है। आम आदमी से लेकर प्रधानमंत्री तक इससे अच्छी तरह से परिचित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी लोकप्रियता का फायदा उठाते हुए इसे एक अच्छे उद्देश्य से जोड़ने की कोशिश की। देश में लड़कियांें के प्रति जो भेदभाव होता है वह ठीक नहीं है। आज के वक्त में भी उन्हें गर्भ में ही मार देना इस देश के कई हिस्सों की सच्चाई है। ऐसे में प्रधानमंत्री ने एक अभियान की शुरुआत की जिसे वे कहते हैं ‘सेल्फी विद डॉटर’। 27 जून को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उन्होंने इसकी शुरुआत की और देश भर के लोगों को गर्व से अपनी बेटियों के साथ एक सेल्फी भेजने को प्रोत्साहित किया।
हालांकि इस अभियान को कुछ लोगों ने धुत्कार दिया। वे यह कहते हैं की सेल्फी लेने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और जिन इलाकों में खास जागरुकता की ज़्ारूरत है वहां सेल्फी के बारे में कोई नहीं जानता।
श्रुति सेठ और कविता कृष्णन जैसी नामी हस्तियों ने इसके विरुद्ध ट्विटर पर अपना पक्ष रखा। लेकिन कुछ ही मिनटों में लोगों की प्रतिक्रियाएं आने लगीं और दोनों महिलाओं की खूब आलोचना हुई। लेकिन इसी प्रक्रिया में हद्द तब पार हो गई जब लोगों ने गाली-गलौच और व्यक्तिगत टिप्पणियों का सहारा लिया। इसी को लेकर सोशल मीडिया पर खूब बवाल हुआ और ‘सेल्फी विद डॉटर’ के पक्ष और विपक्ष में दो गुट बंट गए।