बिहार। केंद्र ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सूचना के अधिकार का प्रयोग करके भ्रष्टाचार का भांडा फोड़ करने वालों की सुरक्षा के लिए नियम बनाने पर काम शुरू कर दिया है। ये खबर बिहार राज्य में काम करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए खास है क्योंकि राज्य में आए दिन सूचना के अधिकार और मनरेगा पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं पर भ्रष्ट अधिकारियों और स्थानीय दबंगों का दबाव बना रहता है।
सूचना के अधिकार के साथ काम कर रहे बिहार के कार्यकर्ता शिव प्रकाश ने बताया कि हाल में अकेले बिहार रात्य के कार्यकर्ताओं ने दो सौ करोड़ रुपय के घोटालों का खुलासा किया है। इनमें से अधिकतर मामले मनरेगा में पैसा लूटते गांव के मुखियाओं से जुड़े थे। शिव प्रकाश का कहना है कि ज़्यादा से ज़्यादा मामलों में कार्यकर्ताओं पर हमला हुआ और कुछ केस में उनकी हत्या तक कर दी गई।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार अगर एक अकेला कार्यकर्ता पंचायत स्तर पर पच्चास लाख तक के घोटाले कस खुलासा कर सकता है, तो ऐसे हर कार्यकर्ता को बचाना ज़रूरी है। केंद्र विकास मंत्री जयराम रमेश ने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री नितीश कुमार को एक पत्र में कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए नियमों के बारे में पत्र के ज़रिए सुझाव भेजे। साथ ही मुजफ्फरपुर में 23 मार्च को मारे गए कार्यकर्ता राम कुमार ठाकुर के परिवार के लिए मुआवज़े की मांग की है।
क्यों ये सुरक्षा नियम ज़रूरी हैं
राज्य के सूचना विभाग के अनुसार साल 2005 से अब तक 315 कार्यकर्ताओं को पुलिस और स्थानीय शासन के भ्रष्ट मुखियाओं ने या तो डराया धमकाया है, या झूठे केसों में फंसाया है। साल 2010 से अब तक बिहार में छह कार्यकर्ताओं की हत्या की गई जिसमें पुलिस की कार्यवाही पर भी सवाल उठाया गया।
– साल 2011 में लखीसराय जिले के अमराहा पंचायत में पंचायत समिति सदस्य और कार्यकर्ता राम विलास सिंह की कुछ लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
– मुजफ्फरपुर जिले के रत्नौली गांव में 23 मार्च 2013 को कार्यकर्ता राम कुमार ठाकुर की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। मामले में स्थानीय पुलिस का हाथ होने पर भी कार्यवाही चली।
– मुजफ्फरपुर के मंडइ खुर्द गांव में एक महिला कार्यकर्ता का 27 मार्च को सामूहिक बलात्कार किया गया जिसके बाद अस्पताल पहुंचने के पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।
सूचना अधिकार के कार्यकर्ताओं के लिए सुरक्षा प्लान पर काम शुरू
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