सुप्रीम कोर्ट ने सूखे को लेकर केन्द्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सामाजिक न्याय को खिड़की से बाहर फेंक दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वराज अभियान की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि मौजूदा सिस्टम में कई तरह से किसानों की मदद की जा सकती है। कोर्ट ने राज्यों से मगनरेगा और मिडडे मिल जैसी योजनाओं को सही तरीके से लागू करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को सूखे से निपटने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को प्रभावी तरीके से लागू कराने की निगरानी के लिए खाद्य आयुक्त नियुक्त करने को कहा है। राज्य ये बहाना नहीं बना सकते कि उनके पास पैसों की कमी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सूखा प्रभावित इलाकों में गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी मिडडे मील दिया जाए। मिड डे मील में अंडा, दूध और पोषण युक्त भोजन दिया जाए।
कोर्ट ने कहा कि फसल खराब होने के चलते केन्द्र सरकार एक बड़ी रकम देती है। राज्यों को चाहिए कि वे उसे सही तरीके से बंटवाएं।
हालांकि शीर्ष अदालत ने उसके निर्देशों को पालने के लिए कोर्ट की ओर से आयुक्त नियुक्त करने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह याचिका को खारिज नहीं कर रहे हैं। मामले पर अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी।
कोर्ट ने केन्द्र को सूखे पर सात साल पुरानी गाइड बुक का संशोधन करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि उसके आदेश के बाद जो कदम उठाए गए हैं रिपोर्ट दी जाए। एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट निगरानी करेगा कि केन्द्र और राज्यों ने उसके निर्देशों की पालना की या नहीं।
सूखे पर सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को निर्देश, छुट्टियों में भी दें मिड डे मील
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