उत्तर प्रदेश के बुंदेलखण्ड इलाका के चित्रकूट जिला मा 9 अप्रैल का समाजवादी सूखा राहत के तहत कर्वी ब्लाक के तहसील सभागार मा लोगन का किट बांटे गें रहैं।
मड़ई सूखा राहत के तहत किट ले खातिर सुबेरे साढ़े नौ बजे से आसरा लगाये भाूखे पियासे इनतान के धूप मा बइठ रहैं। यहिमा ज्यादातर औरतैं सूखा राहत का किट लें आई रहैं। सूखा राहत का अउर सबै सामान तो नींक रहै,पै आलू सड़ गें रहै। यहिसे कुछ मड़इ्र तौ आलू बोरी से निकार के फेंक दिहिन रहैं। अब या बात सउहें आवत हवै कि आखिर सड़े आलू का मड़ई घर लइ जा के का करिहैं। उनके खातिर सड़ा आलू एक बोझ के जइसे का बन के रहिगा।
का यहिके खातिर उत्तर प्रदेश सरकार नहीं सोहिच रहै कि या आलू तौ इनतान के गर्मी मा जल्दी सड़ जई। का सड़ा आलू दइके मड़इन का बीमारी के हालत मा पहुंचावैं का हवै। यहिके खातिर सरकार पहिले से बोरी मा आलू काहे का भरा के बंद करा दिहिस रहै। अगर सरकार का या बात का ध्यान रहत तौ मड़ई सूखा राहत का किट पा के अउर ज्यादा खुश नजर आवत।
दूसर बात कुछ पा़त्र मड़ई वहै दिन अधिकारिन का लिखित देत रहैं कि उंई पात्र मड़ई आहिन, पै उनका सूखा राहत के तहत सरकार कइती से किट नहीं मिला आय।
आखिर पात्र मड़ई काहे का सूखा राहत का किट लें से वंचित रहिगे? यहिके खातिर जिला के अधिकारी अउर सरकार का सोचैं के जरुरत हवै?