जिला महोबा, ब्लाॅक चरखारी, कस्बा चरखारी ई साल सूखा के कारन आदमी परिवार पाले खा ज्यादातर पलायन कर चुको हे। कछू बचो हे तो कोनऊतान आपन जुगाड़ कर परिवार चलाउत हे। एते के मुन्नी कहत हे की हमायेपास एकऊ बिसुआ खेती नइयां। जीसे आपन परिवार पाल सकन, एते मजदूरी भी नई लगत हे। एई से हम बोहतई परेशान रहत हे।
सुनीता ओर अनीता कहत हे की मजदूरी न मिले के कारन हम लोग सूखे परे तालाब मे सब्जी की खेती कर आपन परिवार पालत हते। अब तालाब की खोदाई हो गई हे। जीसे हमाई पूरी सब्जी खुद गई हे। हम मजदूर आदमी अब केसे परिवार चलाहे। शाम तक जभे हम अपने सब्जी वाले खेत मे हते तभे तक हमाई सब्जी नई उखाड़ी हे। रात के जभे हम घर चले आये तो ठेकेदार ओर अधिकारियन ने मिल के मशीन से हमाई सब सब्जी की खेती खुदवा डारी हे। जभे हम सुबेरे खेत गये तो ओते कछू न हतो।
शान्ती कहत हे की हमने हजार रूपइया के बीजा बाजार से खरीदे हते। जीसे आपन परिवार पाल सकन। पे कछू नई बचो हे। एई से हम सोचत हे की अगर कछू मुअवजा मिल जाये तो कछू आसानी हो सकत हे।
चरखारी तहसीलदार सौरव कुमार कहत हे की ओते कोनऊ की जमीन न हती। सब तालाब की जमीन मे खेती करत हते। जीसे मुआवजा न मिलहे।
रिपोर्टर – सरोज सैनी