सरकार वृद्धा अउर बेसहारा के पेंसन लागू कयले छथिन। चाहे उ विकलांग, विधवा, वृद्धा या सरकारी पेंसन धारी होय। ओहन समय में उनका कुछ रूपईया के सहायोग महिना के जोड़ के मिलई छई। ताकि उ लोग के अपना जरूरत के समान या परिवार चलावे के लेल दोसर के राह न देखे अपन काम खुद करे। लेकिन ऐतना पेंसन अउर सुविधा होय के बाबजूद बहुत एहन आदमी छथिन जे पेंसन से वंचित छथिन। चाहे उनका सब के कोई भी कारण होय। कुछ लोग कहई छथिन कि हमर सब के उमर पेंसन लेवे के हो गेल हई लेकिन कागज पर उमर न पुरल हई। जेई कारण पेंसन से वंचित रह जाई छथिन। कुछ लोग के मृत्यू प्रमाण-पत्र समय से न बने के कारण पेंसन से वंचित रह जाई छथिन। जेईसे बथनाहा प्रखण्ड के कोईली गांव के अनु देवी लगभग बीसो साल से विधवा छथिन लेकिन नाम में गरबरी के कारण अभी पेंसन न मिलई छई। जबकि उनकर उमर सतर साल हई। जेकर कारण हई कि सरकारी कर्मी घर-घर न जाके एक जगह बईठ के नाम जोड़ई छथिन। उनकर त काम पुरा हो जाई छई। लेकिन छेलई छई गरीब लोग।
एईसन समस्या हर गांव के कुछ न कुछ लोग के साथ हई। अगर विभागीय लोग ढ़ंग से जांच कके नाम जोड़तियई त शायद ऐतना समस्या न होतियई। ऐई पर सरकार के गंभीरता से सोचे के चाही।
सुविधा रहईत लोग वंचित
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