नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर को कहा कि आधार कार्ड न होेने पर किसी भी नागरिक को किसी भी सरकारी लाभ लेने से रोका नहीं जा सकता है। आधार कार्ड बनवाना या न बनवाना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। यह फैसला एक व्यक्ति द्वारा याचिका दायर करने के बाद दिया गया।
व्यक्ति ने आधार कार्ड को सरकारी योजना का लाभ उठाने के लिए ज़रूरी करने को संविधान के खिलाफ बताया था। यह योजना केंद्र सरकार की है। केंद्र ने गैस सिलेंडर में मिलने वाली छूट और कई अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए इसे ज़रूरी बताया था।
आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सवाल खड़े करने के बाद केंद्र सरकार इसे कानूनी रूप देने के लिए विधेयक तैयार कर रही है। अगर ये विधेयक पास हो जाता है तो फिर आधार कार्ड कानूनी रूप से सभी के लिए ज़रूरी हो जाएगा।
आधार कार्ड पर उठ रहे सवाल
आधार कार्ड बनाने का काम कुछ निजी एजेंसियों को दिया गया है। ये संस्थाएं लोगों की जाति और धर्म के साथ जनगणना में ली गई सभी जानकरी के दस्तावेज़ तैयार करती हैं। इसमें आंखों की पुतलियों का स्कैन और उंगलियों के निशान शामिल हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इससे किसी भी नागरिक की निजी जानकारी किसी एक एजेंसी के पास मौजूद रहेगी जिसका गलत उपयोग किसी समुदाय या व्यक्ति के खिलाफ आसानी से किया जा सकता है।