केंद्र सरकार ने यू-टर्न लेते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह सोशल मीडिया हब बनाने के प्रस्ताव वाली अपनी अधिसूचना को वापस ले रही है।
दरअसल, इस मामले में कुछ लोगों ने आरोप लगाया था कि यह हब नागरिकों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने का हथियार बन सकता है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की इस दलील पर विचार किया कि अधिसूचना को वापस लिया जा रहा है। इसके बाद कोर्ट ने इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं का निस्तारण कर दिया।
वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि सरकार सोशल मीडिया नीति की पूरी तरह समीक्षा करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने 13 जुलाई को यह याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुये सरकार से कहा था कि ऐसा हब बनाने का उसका कदम क्या लोगों के व्हाट्सएप संदेशों पर नजर रखने के लिए है और उसने कहा था कि यह ‘‘सर्विलांस स्टेट’ बनाने जैसा होगा।