राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ‘गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र’ में मां-बाप को सिखाया जा रहा है कि कैसे बच्चे के भविष्य की योजना गर्भ से ही की जा सकती है और कैसे गर्भ से ही अपने बच्चे को भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं।
गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र की मानें तो माता-पिता का बौद्धिक स्तर भले ही कम हो लेकिन उनका बच्चा मेधावी हो सकता है। माता-पिता का कद-काठी भले ही कम हो, लेकिन उनकी संतान का कद लंबा हो सकता है। मां-बाप का रंग सांवला क्यों ना हो लेकिन बच्चा गोरा ही पैदा होगा और ये सब गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र में सिखाया जा रहा है।
इस योजना के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर कृष्ण मोहनदास नरवानी का कहना है कि उत्तम संतान के जरिए इस योजना का मुख्य लक्ष्य है एक समर्थ भारत का निर्माण करना । हम चाहते हैं कि 2020 तक हजारों की संख्या में ऐसे बच्चे हों। माता-पिता के लिए ‘शुद्धिकरण’ के तीन महीने, ग्रहों को देखखर ख़ास समय पर संभोग, बच्चा पेट में आने के बाद अपने पर पूरी तरह से नियंत्रण रखना और सम्बन्ध न बनाना और खान -पान और पूरी दिनचर्या से जुड़े सख्त नियमों का पालन करना । आरएसएस के स्वास्थ्य संकाय आरोग्य भारती के ज्ञान विज्ञान संस्कार योजना के तहत ये वो चीजें हैं, जो उत्तम संतान को पैदा करने में मदद करेंगी।
आपको बता दे कि इस तरह की योजना का आयोजन जर्मनी देश में दूसरे विश्व युद्ध के समय हुआ था। जब वहां के तानाशाह हिटलर ने एक ‘आर्यन’ पीढ़ी की कल्पना का निर्माण किया था, और इसके तहत सैंकड़ों लोगों पर अत्याचार किया था।