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सीतामढ़ी की बांसुरी

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मोहम्मद रफीक और निजामुद्दीन

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बांसुरी बनाते मोहम्मद रफीक

जिला सीतामढ़ी, बिहार। यहां के प्रखण्ड रीगा, पंचायत भवदेपुर, गांव चंडिया की यह बांसुरी न केवल पूरे बिहार बल्कि पूरे देश और नेपाल, बांग्लादेश में भी में प्रसिद्ध है।
वार्ड नंबर नौ में करीब पचास घर हैं, इसमें से पैंतीस घर के लोग बांसुरी बनाने का काम करते हैं। न केवल बनाते हैं बल्कि इन्हें खूब सुरीली बांसुरी बजानी भी आती है।
यहां रहने वाले मोहम्मद इज़ामुद्दीन, बकरीद शाह और खुश्बूद्दीन शाह का कहना है कि यहां कई लोग बांसुरी बनाने के काम में लगे हैं। यह लोग शहरों और गांवों में लगने वाले मेलों में जाकर अपनी बांसुरी बेचते हैं। बिहार से लगे होने के कारण सीतामढ़ी की ये बांसुरी नेपाल और बांग्लादेश में भी जाती है। पैंसठ साल के मोहम्मद रफीक पच्चीस साल से बांसुरी बजाने और सिखाने का काम करते हैं। रफीक को लता मंगेशकर के गीत एवं गजलों की बांसुरी में धुनें निकालना खूब अच्छा लगता है।