‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज’ की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में बाहरी वायु प्रदूषण से भारत में हुई मौतें चीन से अधिक हैं। रिपोर्ट बताती है कि 1990 से अबतक लगातार भारत में होने वाली असमायिक मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह रिपोर्ट साल की शुरुआत में ‘ग्रीन पीस’ की तरफ़ से जारी की गयी जिसमें बताया गया था कि इस शताब्दी में पहली बार भारतीय नागरिकों को चीन के नागरिकों की तुलना में औसत रूप से अधिक कण (पार्टिकुलर मैटर) या वायु प्रदूषण का दंश झेलना पड़ा है।
पत्रकार पल्लवी अइयर ने अपनी नई किताब ‘चोक्ड’ (जिसका अर्थ है ‘सांस ना ले पाना’) में ये बतलाया है कि चीन ने अपने 95 फीसदी पावर प्लांट में प्रदूषण दूर करने वाले फिल्टर लगाए हैं। और वहीं भारत के महज 10 फीसदी प्लांट में ही ऐसी व्यवस्था है।
2011 में चीन में सबसे ज्यादा बाहरी वायु प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया,लेकिन उसके बाद 2015 तक आते-आते चीन के वायु प्रदूषण में सुधार होता गया। जबकि भारत की हवा लगातार खराब होती गयी और वर्ष 2015 का साल सबसे अधिक वायु प्रदूषित साल रिकॉर्ड किया गया।
ग्लोबल बर्डन के आंकड़े बता रहे हैं कि स्थिति चिंताजनक है और भारत को समय-सीमा तय करके वायु प्रदूषण स्तर को कम करने का लक्ष्य रखना होगा।
साभार: इंडियास्पेंड