सरकार गरीब लोग के सहयोग के लेल सब महिना में राषन देई छथिन। ताकि उनका जिवन यापन में सुविधा मिले। लेकिन जे ज्यादा गरीब हई, जिनकर मजदुरी ही आषा हई ओहन लोग के राषन न मिलई छई। अउर राषन न मिले के कारण हई उनका पास राषन कार्ड न हई।
जब राषन कार्ड बनइ छई ओइ सर्वे कयल जाई छई। लेकिन विभाग के लोग सर्वे के दौरान जब एक मुहला में गेल त उहां एक आदमी के घर बइठ के रिपोर्ट बना देइ छथिन। जेकर नतिजा होइ छई कि जे अपन लोग रहई छई उनकर नाम लिखा देलक। गरीब लोग के नाम जनलक त लिखयल न जनलक त उ छोर देलक। एही के नतीजा हई कि लोग के नाम राषन कार्ड न मिलई छई।
एकर सुधार के लेल आपत्ती फाॅर्म भी भरयला एक साल हो गेलई लेकिन अभी बन के भी न आयल हई। जीनका पास कार्ड न हई उ लोग आषा लगयेले छथिन कि कब मिलत हमरा कार्ड कि ओइ पर राषन मिलत। अगर सर्वे करेवाला लोग घरे घरे जा के सर्वे करतियइ त इ समस्या देखे के न मिलतीयई।