प्रतापगढ, उत्तर प्रदेष। पूरे देश में उत्तर प्रदेश इन दिनों चर्चा के केंद्र में हैै। इसका कारण प्रतापगढ़ में हुई सांप्रदायिक हिंसा। प्रतापगढ़ जिले के गांव कुंडा के पुलिस उपाधीक्षक जिया उल हक की हत्या में उत्तर प्रदेश सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रहे राजा भईया के नाम से जान ने वाले रघुराज प्रताप सिंह का नाम सामने आया है। इसकी जांच सी.बी.आई (राष्ट्रीय स्तर की जांच करने वाले स्वतन्त्र संस्था) कर रही है।
जिया उल हक की हत्या के बाद दबाव में राजा भईया ने इस्तीफा दे दिया है। कुंडा के पुलिस उपाधीक्षक जिया उल हक की हत्या उस समय हुई जब वो पास के गांव वलीपुर में हो रही हिंसा को रोकने पहुंचे। गांव वलीपुर के प्रधान की हत्या गांव में चल रही हिंसा का कारण मानी जा रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार प्रधान की हत्या में राजा भईया का हाथ है। हिंसा की रोकथाम के लिए पहुंचे जिया उल हक भीड़ की गोलियों का शिकार हो गए। कथित तौर पर भीड़ में शामिल राजा भईया के लोगों ने ही जिया उल हक की हत्या की है।
कुंडा राजा भईया का चुनावी क्षेत्र है। यहां से वो पांच बार
विधायक रहे हैं। जिया उल हक के परिवार वालों ने राजा भईया के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करवाया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले में बिना भेदभाव जांच का भरोसा दिया है।
कौन हैं राजा भईया
उत्तर प्रदेष में भला कौन नहीं जानता राजा भईया का नाम। सपा के अलावा, भाजपा में भी ये मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में उनके खिलाफ आठ मुकदमें चल रहे हैं। इसमें हत्या की कोषिष, अपहरण और डकैती के कई मामले शामिल हैं। उत्तर प्रदेष में इन पर आतंकवादी निरोधी गतिविधि कानून (पोटा) और उत्तर गैंगस्टर एक्ट का मामला भी उन पर चल रहा है। साल 2002 में भाजपा विधायक पूरन सिंह बुंदेला ने उन पर अपहरण का मामला दर्ज करवाया था।
सांप्रदायिक हिंसा से कांप उठा उत्तर प्रदेष
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