बिना कनेक्शन के बिल हो या खपत से बेसी के बिल इ सब आम बात हो गेल हई। एई पर बिजली विभाग जांच ही बइठा रहल छथिन। मगर एइ जांच के नतिजा की अबइ छई से सब के पता हई।
2005 में राजिव गांधी विद्ययुतीकरण योजना चलायल गेलई। एई के तहत हर सौ घर के आबादी वाला टोला में बिजली जाय के रहई। एइ में केतना गांव में पोल लग के रह गेलइ त कहीं मिटर देख के लोग बिजली के इन्तजार करे लगलथिन। पर सोचे वाला बात त इ हई कि जई गरीब परिवार के लेल इ योजना चलायल गेलई उनका सही से लाभ मिले न मिले पर बिल जरुर मिल गेलई। एई से परेशान जनता जब अधिकारी के पास जाई छथिन त उनका कहल जाई छई कि हम जांच करवायब अउर दोषी के उपर कार्यवाही कयल जतई।
लेकिन केतना दोषी के उपर कार्यवाही कयल जाइ छइ इ एगो सवाल बनल हई। आखिर बिना बिजली के खपत भेल बिल अवई छई कहां से? इ सवाल बनल हई, लेकिन बिजली विभाग एइ के बावजुद कि कर रहल छथिन? जे जांच होई छई ओइ पर कार्यवाही त दुर जांच में साबित कि होलई इ भी जनता के पता न चलई छई। लोग काम छोर के भी बिल के सही करावे में लगल रहई छथिन पर एइ पर बिजली विभाग ध्यान कहिया देथिन? सही जांच कयला न होई छई?