गाजि़याबाद। यहां की ग्यारह साल की पलक पैदाइश से ही बोल नहीं पाती है। पर पलक के जज़्बे को देख कर नहीं लगता कि वह औरों से कम है।
पलक के पिता विजय कालिया ने बताया कि वह खेल के मास्टर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हर मां बाप की तरह हम भी चाहते हैं कि हमारी बच्ची अपना नाम रौशन करे। पलक को नौ वर्ष की उम्र से रेस करने का बड़ा शौक था। इसलिए मैंने पलक के हौंसले को देखकर उसका साथ दिया। इस समय वह इंटरनेशनल खेलों में भी भाग लेती है। और हर जगह जीत हासिल कर अपने जि़ले और परिवार का नाम रोशन करती है। अब तक वह गाजि़याबाद, नोएडा और दिल्ली आदि में भाग ले चुकी है।
14 नवंबर 2015 को बाल दिवस पर उसको राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा कई गोल्ड मैडल, सिल्वर मैडल हासिल किए हैं। 8 मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया है। मैं कोच की हैसियत से और पिता की तरह दोनों तरह से ही देखूं तो इस नतीजे पर पहुंचता हूं कि मन में उमंग और लगन हो तो विकलांगता भी कुछ नहीं कर सकती। जैसा कि पलक ने कर दिखाया है।’’
सलाम है पलक के हौंसलो को
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