सर्दी तू कितनी बेदर्दी
हमें कंपाकर थर-थर-थर
हालत पतली मेरी कर दी।
ऊनी कपड़े, गरम रजाई
नहीं जरा भी राहत भाई।
बैठ सभी तापते आग
कड़-कड़ दांत सुनाते राग।
कैसे हम जाएं स्कूल
चुभती हवा हमें ज्यों शूल
सर्दी इतनी हमें सताए
समझ नहीं कुछ मेरे आए।
पापा जल्दी बदलो वर्दी
सर्दी तू कितनी बेदर्दी।
अर्पिता
ब्लाक तारुण,
गांव जहद्दीपुर