उत्तर प्रदेश इन दिनों हिंसा का गढ़ बना हुआ है। उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार के लिए उनके ही मंत्री और विधायक परेशानी का कारण बन गए हैं। एक तरफ प्रतापगढ़ जिले के कुंडा के पुलिस उपाधीक्षक की हत्या का मामला है तो दूसरी तरफ अंबेडकर नगर जिले के टांडा कस्बे में हिंदू संगठन के नेता रामबाबू की हत्या का मामला गरमाता जा रहा है। इन दोनों ही मामलों ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
कुंडा के मामले में जहां उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे राजा भइया का नाम सामने आ रहा है वहीं टांडा में हुई हत्या के मामले में भी सपा विधायक अजीमुल हक का नाम सामने आ रहा है। अगले ही साल यानी 2014 में लोक सभा चुनाव होने हैं। ऐसे टांडा में जहां हिंदू वोट बैंक वहीं प्रतापगढ़ में मुस्लिम वोट बैंक खतरे में है। हालांकि जनता के गुस्से को काबू में करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजा भईया से इस्तीफा ले लिया है। लेकिन इस घटना से नाराज मुस्लिम समुदाय के लोग राजा भइया की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। इस मुश्किल से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच की जिम्मेदारी स्वतंत्र जांच एजेंसी यानी सी.बी.आई को सौंप दी है। दूसरी तरफ टांडा में एक हिंदू नेता की हत्या के मामले में अंबेडकर नगर जिले के मुस्लिम विधायक अजीमुल के खिलाफ कारवाही की मांग उठ रही है।
सरकार पर सवाल उठाते हुए यह भी कहा जा रहा है कि अपराधिक रिकार्ड होने के बाद भी राजा भईया को राज्य में मंत्री पद कैसे दे दिया गया? उत्तर प्रदेश के बाहुबली राजा भईया के आपराधिक रिकार्ड से तो भी परिचित हैं। लेकिन अम्बेडकर नगर के सपा विधायक अजीमुल हक की दबंगई भी किसे से छिपी नहीं है। राजा भइया पर हत्या, अपहरण, डकैती समेत आठ आपराधिक मुकदमें चल रहे हैं? हालांकि यह हाल किसी एक राजनीतिक दल का नहीं है। राजा भईया सपा सरकार में मंत्री होने से पहले भाजपा में भी मंत्री रह चुके हैं।
सरकार पर सवाल
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