केन्द्र सरकार होय या राज्य सरकार शिक्षा के सुविधा के बारे मा कुछ नहीं सोचत आय। दूसर बात या है कि जउन मास्टर रिटायर होई जात है तौ उंई स्कूलन के बारे मा सरकार का सोचत है । रिटायर मास्टरन के जघा का भी सरकार का सोचे का चाही।
काहे से शुरू से ही बात चली आवत है, पै या साल 30 जून 2014 का बांदा जिला मा 92 मास्टर रिटायर होइगे है। कुल 16 स्कूल है जउन हेड मास्टर के भरोसे चलत हैं। आखिरकार कबै तक ई मास्टर या समस्या से जूझत रइहैं। यहिसे मास्टर अउर गांव के जनता या मांग करत है कि शिक्षा विभाग अगर जउन स्कूल मा मास्टर निहाय। उंई स्कूलन मा मास्टरन के भर्ती होई जाय तौ बच्चन का भविष्य न बरबाद होय। काहे से देखा जाय तौ दूर दराज अउर जंगली इलाका अउर गांवन स्कूल मा देखा जाय तौ ज्यादातर स्कूल ही बंद परे रहत हैं। कइयौ स्कूल इनतान के हैं जहां मास्टर ही निहाय। खाली इमारत बस बनी है। या कुछ स्कूल हैं जउन मास्टर न होय के कारन हैण्डओवर निहाय या दुई स्कूलन के बच्चा एक ही स्कूल मा पढ़ावत हंै। यहिसे उंई बच्चन का भविष्य खराब होत है। सरकार उंई बच्चन के बारे मा काहे नहीं सोचत आय कि उंई बच्चा निहाय सरकार तौ आपन फायदा देखत है। सब के पास यतना रूपिया निहाय कि गरीब मड़ई आपन बच्चन का प्राईवेट स्कूलन मा पढ़ा सकै उंई तौ सरकारी स्कूल के भरोसे है।
अगर सरकार शिक्षा विभाग उंई गांव के बच्चन अउर मास्टरन के बारे मा सोचै लागै तौ नींक होई जाय। जबै कि अकेले मास्टरन का सरकार दसन काम सउप देत है। यहिसे पढ़ाई नहीं होई पावत अउर मास्टर का चिन्ता बनी रहत है। मास्टरन के भरपाई के जिम्मेदारी सरकार के है।