बुन्देलखण्ड को किसान हमेशा पीडि़त रहत हे। चाहे ऊ सूखा, ओलावृष्टि, ज्यादा बारिस या फिर जमीन डूब क्षेत्र में जायें के कारन हों। किसान हमेशा ई सब चीजन के मुआवजा खा भटकत रहत हे, ओर आमदनी मिले से ज्यादा अपने घर को रूपइया खर्च कर देत हे। हम बात करत हे महोबा जिला के किसानन की जीखो परिवार किसानी पे निर्भर हे। जोन किसानन की जमीन अर्जुन सहायक परियोजना बांध में या फिर ऊसे निकरे वाली जा फिर ऊसे जोड़े वाली नहर के डूब क्षेत्र में जात हे। ऊ जमीन न तो किसान खा जोते खा मिलत हे ओर न ही ऊखे जमीन को मुआवजा मिलत हे। किसान आपन मुआवजा पाये खे लाने सिंचाई विभाग के साथे डी.एम., एस.डी.एम. के चक्कर काटत हे।
महोबा जिला के कबरई ब्लाक के गांवन के लगभग दसो हजार किसानन की खेती अर्जुन सहायक परियोजना बांध में जात हे। जोन किसान खा सरकार चार गुना ज्यादा मुआवजा देय की बात कह के ऊखो खेत में कब्जा कर लओ हे। जीसे किसान आपन मुआवजा पायें खा विभाग के चक्कर काटत हें। एसी बढ़त मंहगाई में किसान को परिवार सड़क में गओ हे। जीसे किसान आपन पाले खा भटकत हे। मुआवजा न मिले पे किसान लगातार आत्महत्या करें खा मजबूर हे।
सरकार गरीब किसानन खा लालच देके आपन काम करत हे ओर फिर बजट न होय को बहाना करके किसानन से चक्कर कटाउत हे। जभे सरकार के एते बजट नई रहत हे तो काय खा झूठो भरोसा दओ जात हे। अगर बजट नइयां तो किसानन की जमीन लौटा देय। जीसे ऊ खेती करके आपन परिवार तो पाल सके। किसान आत्म हत्या करें खा मजबूर न होय।
सवाल जा उठत हे कि अगर किसान एसई आत्म हत्या करत रहो तो ऊखों परिवार खा पाले की ओर आत्म हत्या को जिम्मेदार कोन हे?
सरकार गुड़ देके मारत ईंटा
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