किसानन का सरकार कइत से मिलैं वाले खाद बीज दें वाली समितियन के इमारत या हालत मा निहाय कि होंआ खाद बीज धरा जा सकै। बरसात का पानी पूर बरसात इनके भीतर भरा रहत है। इनतान मा इं बस दिखावटी ही बन के रहि जात हैं। दूसर बात है कि इं जरजर इमारतन के गिरैं का डेर हमेशा बना रहत है। कइयौ इमारत इनतान के हैं जेहिके कतौ मरम्मत तक नहीं करवाई गे। 12 अगस्त 2013 का बांदा जिला के मुरवल गांव के सहकारी समिति के इमारत गिर जाय से सहकारिता विभाग के करतूत के पोल खुल गे है। जरजर हालत मा सिर्फ इं दुई इमारतै ही नहीं जबैकि बड़ोखर ब्लाक के लामा, पलरा, तिन्दवारी ब्लाक के खप्टिहा कलां, नरैनी ब्लाक के अतर्रा, नरैनी, नहरी अउर बबेरू समेत दर्जनन इमारतै इनतान के हैं जउन जरजर हालत मा हैं। सरकार के योजना के घोषणा करैं या शुरू करैं भर से सरकार का काम खतम नहीं होई जात आय। योजना के ऊपर निगरानी रखब अउर योजना का पलट के देखैं के जिम्मेदारी भी सरकार के होत है।
सरकार का निहाय किसानन के परवाह
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