केन्द्र सरकार का जबै वोट लें का रहै तौ मड़इन से वादा करिस रहै कि अगर मैं जीत जइहौं तौ आलू, प्याज जइसे सब्जी के दाम का कम कइ दीन जई, पै अगर बात कीन जाये कि मोदी के सरकार बने लगभग छह महीना होय वाला हवै।
पै महंगाई तौ घटैं के बजाय रोजै के बढ़तै जात हवै। सरकार का आपन कीन गा वादा का याद नहीं आय। अगर सरकार का महंगाई कम नहीं करै का रहै तौ काहे का जनता से वादा करिस रहै। अब वहै वादा निभावैं के आम जनता राह देखत हवै।
का सोना चांदी के महंगाई कम कइ दें से मड़इन का खाये पियै का दाल सब्जी अउर रोज मर्रा के चीजैं खाये का मिल जई। अब देखा जाये कि का सोना चांदी मड़इन का पेट भर देइ। अगर सरकार का महंगाई कम नहीं करै का रह तौ वादा कइके वोट जनता से नहीं बटोरैं का रहै। चाहे जउन पार्टी होय वा जनता से बड़े बड़े वादा करत हवै। जीतै के बाद सब भूल जात हवै।
अब अगर बात कीन जाये पंचायतीराज चुनाव के तौ गलत नहीं आय। आवैं वाले समय मा पंचायतीराज चुनाव जल्दी होय वाला हवै। गांव मा भी प्रधान गांव के जनता का खूबै लालच देत हवंै कि अगर मोहिका वोट देहौ तौ गांव मा हर विकास करवावा जई। जीतै के बाद गांव मा दुबारा घूम के नहीं देखत हवंै। यहिसे जनता अगली दरकी वोट दें से पीछे हट जात हवै। वा आपने मन के उम्मीदवार का वोट दें के सोचत हवै, पै कुछ जघा अबै भी हवै जहां प्रधान का वोट दें खातिर दबाव बनावा जात हवै।