जला सीतामढ़ी, प्रखण्ड रीगा, प्रथम गांव हनुमान नगर। यहां पर वर्मी वेड बनाने के बाद लोगों को सरकार ने नहीं दी अनुदान राषि। हालांकि सरकारी विभाग के अधिकारी का कहना है यह योजना साल 2013-2014 के लिए लागू होनी है। इससे पहले यह योजना थी ही नहीं।
इस गांव में चार साल पहले लोगों ने वर्मी खाद (प्राकृतिक खाद जिसे कंेचुआ को पालकर बनाया जाता है।) वेड (मिट्टी का एक आधार जहां पर कंेचुआ को पाला जाता है।) बनाने शुरू किए। चालीस लोगों ने इस काम को शुरू किया था। सरकारी संस्था महिला सामाख्या केंद्र ने लोगों को इस काम के लिए यह कहते हुए उत्साहित किया था कि लोगों को प्रति वेड कृषि विभाग की तरफ से 10,000 रुपए मिलेंगे।
सोमरी देवी, सीता देवी सुनैना देवी का कहना है कि हम लोग बहुत मेहनत से वेड बनाए समय और पैसा दोनों खर्च करके खाद तैयार किए, इस उम्मीद के साथ कि अनुदान राषि मिलेगा। लेकिन अब कहा जा रहा है कि ऐसी कोई योजना थी ही नहीं।
महिला सामाख्या केंद्र की सुनीता कुमारी का कहना है कि हमारा काम जागरुक करना था जो हमने कर दिया। अब आगे का काम वो खुद देखें। कार्यकम पदाधिकारी कृपा शंकर झा ने बताया कि यह योजना अभी तक थी ही नहीं। अब वित्तीय वर्ष 2013 से 2014 में मनरेगा के तहत इस योजना को शुरू किया जा रहा है।
सरकारी योजना के चक्कर में उलझे लोग
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