जिला फैजाबाद, जिला अस्पताल। यहां मुफ्त दवा और इलाज होना चाहिए। मगर यहां पहुंचने वाले ज्यादातर मरीज किसी निजी मेडिकल स्टोर में दवाइयां लिखी पर्चियां लेकर दवाई खरीदते नजर आते हैं। कुछेक दवाईयों को छोड़कर सारी दवाइयां बाहर से ही लेनी पड़ती हैं।
लखीमपुर की पुष्पा ने बताया कि हमारे दांत में दर्द रहता है। हम यहां दूसरी बार दवा लेने आए हैं। लेकिन कुछेक गोलियों को छोड़कर बाकी बाहर से लेनी पड़ती है। यहां डाक्टर मेडिकल स्टोर का नाम बता देते हैं और कहते हैं वहां से दवाई खरीद लो। इस बार पूरी दवाई पांच सौ रुपए की खरीदी जिसमे से सौ रुपए की दवाई अस्पताल से मिली बाकी बाहर के मेडिकल स्टोर से लेनी पड़ी।
ददेरा गांव की विमला ने बताया कि अगर दवाई खरीद सकते तो प्राइवेट अस्पताल में ही जाते। वहां कम से कम अच्छा इलाज तो मिलता। मगर गरीबी के कारण सरकारी अस्पताल में आना पड़ता है। यहां भी हमें ज्यादातर दवाई बाहर से ही लेनी पड़ती है। पिछली बार सात सौ की दवाई बाहर से खरीदनी पड़ी थी।
हालांकि सी.जी.एम.एस. हरिओम इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि सारी दवाइयां अस्पताल में मौजूद हैं। किसी को बाहर की दवा नहीं लिखी जाती है। हां अगर कोई दवा खत्म हो जाती तो लिखनी पड़ती है। कुछ मरीज तो खुद कहते हैं कि बाहर की दवा लिख दिजिए। अगर किसी को डॉक्टर ने बाहर कि दवा लिखी है तो वो रसीद लेकर आए हम भुगतान करेंगे।