भारत ने 28 सितम्बर की सुबह पीएसएलवी सी-35 को अब तक के सबसे बड़े मिशन पर भेज दिया या यूँ कहा जाये कि भारतीय अन्तरिक्ष एजेंसी इसरो ने एक रॉकेट के ज़रिए सात उपग्रह अंतरिक्ष में भेज दिए हैं।
अंतरिक्ष में भारत अपने और विदेशी सैटेलाइट या उपग्रह भेजता रहा है जिससे होने वाली कुल कमाई अब 12 करोड़ डॉलर हो गयी है।
यह मिशन ख़ास इसलिए है क्योंकि ज़्यादातर देश एक ही ऑरबिट या कक्षा में अपने उपग्रह पहुंचाते हैं जबकि इस बार भारत ने दो कक्षाओं में ऐसा किया है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के वेगा रॉकेट ने कुछ दिन पहले ऐसा मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया था।
दो घंटे से भी ज़्यादा समय वाली पीएसएलवी की ये उड़ान अब तक की सबसे लंबी बताई जा रही है। पीएसएलवी सी-35 अपने साथ जिन सात उपग्रहों को ले गया है उनका वज़न 675 किलोग्राम बताया गया है।
पीएसएलवी के साथ गए विदेशी उपग्रहों में अमरीका का पाथफाइंडर-1, कनाडा का एनएलएस-19, अल्जीरिया के अलसैट-1बी, अलसैट-2बी और अलसैट-1एन शामिल हैं।
पीएसएलवी के साथ गए ‘प्रथम उपग्रह’ का निर्माण आईआईटी-मुंबई में हुआ है और इसका वज़न मात्र 10 किलोग्राम है। पीएसएलवी के साथ बंगलुरू विश्वविद्यालय में तैयार हुआ ‘पीसैट उपग्रह’ भी है जिसे रिमोट सेंसिंग के लिए भेजा गया है और इसका वज़न मात्र 5.25 किलोग्राम है।