पवित्र शहर वाराणसी की हवा आपको सांस लेने की इजाजत नहीं देती। इंडियास्पेंड की मौजूदा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में वायु प्रदूषण पर दर्ज आंकड़ों के 227 दिनों में पिछले साल वाराणसी में अच्छी गुणवत्ता वाली वायु शून्य रही, जबकि 263 दिनों में इलाहाबाद में अच्छी गुणवत्ता वाली वायु शून्य रही।
इन दो शहरों में ऐसा एक दिन भी नहीं पाया गया जब हवा में पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता के सुरक्षित स्तर से नीचे पाया गया हो। हम बता दें कि वायु में पाए जाने वाले 2.5 माइक्रोमीटर के व्यास के कणिका तत्व को ‘पर्टीकुलेट मैटर’ या पी एम 2.5 कहा जाता है। यह रिपोर्ट जून 2016 में जारी किए गए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 2015 के आंकड़ों पर आधारित है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि वायु प्रदूषण के मामले में लोगों का ध्यान दिल्ली पर केंद्रित है, जबकि कई उत्तर भारतीय शहरों की हवा दिल्ली की तरह खराब या कहीं-कहीं दिल्ली से भी बद्तर है।
नवंबर 2016 के बाद से आगरा, लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी में वायु की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर रूप से खतरनाक’ के बीच दर्ज की गई है। ऐसी हवा में सांस लेना हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है।
2016 में अंतरराष्ट्रीय स्वास्थय संस्था डब्लूएचओ ने विश्व भर में 20 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की थी। इस सूची में भारत के 10 शहर शामिल थे। इसमें यूपी के इलाहाबाद, कानपुर, फिरोजाबाद और लखनऊ का नाम बदतर हालात शहरों के रूप में था। हालांकि, वाराणसी का नाम डब्लूएचओ की सूची में शामिल नहीं था, लेकिन वर्ष 2015 में जारी सीबीसीबी की इस बुलेटिन के अनुसार, वाराणसी भारत के तीन सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक है।
साभार: इंडियास्पेंड