पचासों साल पुरानी बात है कि बांदा जिले के पचुल्ला गांव में तीन कंजूस रहते थे। एक बार तीनों में शर्त लगी कि कौन कितना कंजूस है। तीनों ने एक दूसरे को कहानी सुनाना शुरू किया। पहला बोला कि मेरे पिताजी इतना कंजूस हैं कि जब वह खाना खाते हैं तो खाने में देशी घी की महक आने के लिए मूछों में घी लगा लेते हैं। दूसरा बोलता है कि ये कोई ज्यादा कंजूसी नहीं है। मेरे पिता जी तो घी को सूंघ लेते हैं। तीसरा बोलता है कि अरे यह कोई बड़ी कंजूसी नहीं है। मेरे पिताजी तो खाने के समय दाल में एक बूंद घी टपका लेते हंै। खाने क बाद बड़ी-बड़ी डकारें मारकर बोलते हैं कि दाल में घी खाने का मजा ही कुछ और है।
हिमांशु गुप्ता
कक्षा नौ
जनता इण्टर कालेज
ब्लाक खुरहण्ड
जिला बांदा