दिसम्बर 2015 असम के डिब्रूगढ़ से सफाई कर्मचारियों की एक बस रैली निकलीं। 125 दिन बाद यह बस अम्बेडकर जयंती के एक दिन पहले, 13 अप्रैल को दिल्ली आ पहुंची। यह सफाई कर्मचारियों की भीम यात्रा थी, जो 500 जिलो से गुजरते हुए, 30,000 किलोमीटर का सफर तय करते हुए दिल्ली पहुंची। यह रैली बाबासाहेब अम्बेडकर की नीतियों को बताते, भेदभाव के खिलाफ नारे लगाते हुए डिब्रूगढ़ से लेकर गंगटोक, कन्याकुमारी, कोल्हापुर और अमेठी होते हुए दिल्ली आई।
दिल्ली की ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ संस्था द्वारा आयोजित इस यात्रा का उद्देश सफाई कर्मचारियों को जागरूक करना था। 2013 के नए कानून के अनुसार, कूड़े में से सामान उठाने वालों का काम अवैध है, लेकिन फिर भी पिछले दो साल में 1268 सफाई कर्मचारियों की मौत कूड़ा साफ करते हुई है। इस कानून के अंतर्गत सफाई कर्मचारियों को 40,000 रुपयों की आर्थिक सहायता, घर के लिए प्लाट और भत्ते के साथ ट्रेनिंग का प्रावधान दिया गया है. कानून के अनुसार, जिन कर्मचारियों की मौत काम के दौरान हो जाती है उनके परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा भी मिलेगा. इन कानूनों से जुड़े प्रावधानों के बारे में किसी सफाई कर्मचारी को जानकारी नहीं थी, जिसके लिए ‘भीम यात्रा’ का आयोजन किया गया.
13 अप्रैल को दिल्ली में इकठ्ठा हुए भीम यात्रियों में से 125 ऐसे परिवार थे जिनके सदस्य इस ‘खतरनाक’ काम का शिकार हुए। लेकिन इन 125 परिवारों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है.
सफाई कर्मचारी आंदोलन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह भीम यात्रा लोगों को जागरुक करने के लिए है. इनकी मांगों में से एक और मांग यह है कि समाज इस सैंकड़ो साल से चली आ रही अपमानजनक प्रथा के लिए माफी मांगे. इतना ही नहीं, शौचालयों को यंत्रचलित करना चाहिए ताकि यह पेशा और इससे जुड़ा भेदभाव खत्म हो सके.