मनरेगा के तहत सरकार गरीब लोग ला मजदूरी करे के लेल बहुत प्रकार के काम मे जेई छथिन ताकि लोग अपन देश यानि राज्य, जिला, पंचायत, गांव छोड़ के काम करे के लेल बाहर न जायंे। लेकिन एगो त काम न मिलई छई दोसर कि वृक्षा रोपन के काम मिलई छई त समय से मजदूरी न मिलई छई।
जबकि नियम में मजदूर के मजदूरी एक ही सप्ताह में देबे के हई। लेकिन एक सप्ताह के बदला सालो बित जाई छई। जेइसे कि शिवहर जिला पिपराही प्रखण्ड के धनकौल पंचायत के हरपुर गांव के बीस गो मजदूर के मजदूरी न मिलल हई। जबकि एक साल बितरहल हई। अइसन समस्या त सीतामढ़ी अउर शिवहर दुनू जिला में बहुत देखेला मिल रहल हई। गरीब लोग कइसे अपन पालन पोषण करथिन। मनरेगा के तहद पंचायत, प्रखण्ड ,जिला तक लोग सबके पद देले छथिन तइयो कहां सुधार हो रहल हई। दिन पर दिन त मनरेगा में घोटाला ही घोटाला हो रहल हई। जब मजदुर काम मंगई छथिन त कहल जाई छई फंड में रुपईये न हई। केतना बेर उ अधिकारी सेलेके जनता दरबार तक जाइ छथिन। लेकिन उनकर आवाज कहिं फाइल में दब के रह जाई छई। ओकरा दुबारा कोइ खोल के भी न देखई छई। जई कारन मजदुर सब अपन गांव छोर के दोसरा शहर मजदुरी के लेल जाई छथिन।
सरकार योजना बनयले छथिन गरीब के लेल। लेकिन ऐकर फायदा त उपर के लोग उठबई छथिन। त गरीब त जेइन के तेहने पिछड़ला रह जाई छई। यदि मजदूर मजदूरी मंगई छथिन त कहीं-कहीं अधिकारी लोग कहई कि फंड में रूपईया न हई। कइसे मजदूर लोग अपन हक से जिथिन। सब तरह के सुविधा अबई छई त कथी हो जाई छई।