सऊदी अरब एक ऐसा देश है, जहां महिलाएं पुरुष अभिभावक की देखरेख में रहती हैं, वे गाड़ी नहीं चला सकती और उन्हें सार्वजनिक रूप से सिर से लेकर पैर तक के काले वस्त्र पहनने पड़ते हैं।
लेकिन हाल ही में स्थानीय मीडिया ने सूचना दी कि राजा सलमान ने एक आदेश जारी किया है जिसमें महिलाओं को एक पुरुष अभिभावक की ‘सहमति के बिना’ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे सरकारी सेवाओं से लाभ प्राप्त करने की अनुमति दी गई है।
इसका अर्थ है कि कुछ परिस्थितियों में, अध्ययन, अस्पताल में इलाज, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में काम करने और माता–पिता की सहमति के बिना अदालत में खुद का प्रतिनिधित्व किया जा सकता है।
इससे पहले दिवंगत राजा अब्दुल्ला ने महिलाओं को सरकार के सलाहकार शूरा परिषद में अनुमति दी थी। महिलाएं अब नगरपालिका चुनावों में वोट कर सकती हैं, कुछ रिटेल और आतिथ्य नौकरियों में काम कर सकती हैं और 2012 में पहली बार ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई थी।
लेकिन 2016 में ग्लोबल जेंडर गैप में 144 देशों में सऊदी अरब को अभी भी 141 स्थान दिया गया था, यह एक विश्व आर्थिक मंच का अध्ययन है जिसमे ये पता किया जाता है कि महिलाओं की आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी, स्वास्थ्य और शिक्षा कैसी है।
पुरुष संरक्षकता की व्यवस्था, जिसके लिए महिलाओं को एक पिता, पति, या बेटे से यात्रा, अध्ययन या शादी की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, महिलाओं के अधिकारों को महसूस करने के लिए एक बाधा है।