नई दिल्ली। क्या किसी एक समुदाय पर चुटकुले बनाना उस समुदाय की गरिमा को ठेस पहुंचाना है या इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए? यह सवाल अब संता बंता पर बने चुटकुलों पर उठ रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय में 30 अक्टूबर को दायर एक याचिका में इन चुटकुलों को पूरे समुदाय के लिए शर्मिंदगी का कारण बताया गया है।
शायद ही कोई होगा जो संता बंता के नाम से अंजान हो। संता बंता नाम के दो सरदार है जिनकी मंदबुद्धि पर सैकड़़ों चुटकुले सुनकर बच्चांे से लेके बड़े लोग ठहाके लगाते है। हम सभी इनके चुटकुलों को सुनकर बड़े हुए हैं। लेकिन सर्वोच्च न्यायलय में दायर एक याचिका में इन चुटकुलों को सिख समुदाय को शर्मिंदा करने वाला बताते हुए इन्हें रोकने की बात कही गई है।
30 अक्टूबर को एक जनहित याचिका की सुनवाई हुई। इस याचिका में उन सभी वेबसाइट पर रोक लगाने की बात कही गई है जिनमंे सिख समुदाय का मज़ाक उड़ाया जाता है। महिला वकील हरविंदर चैधरी द्वारा दायर इस याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा ने कहा कि ‘सिख समुदाय अपने ज़बरदस्त हंसीबोध के लिए जाना जाता है और वे भी ऐसे चुटकुलों का आनंद लेते हैं। आपने खुशवंत सिंह के चुटकुले देखे होंगे। ये सिर्फ मनोरंजन है। आप इसे क्यों रोकना चाहते हैं? अपना मुकदमा अच्छी तरह तैयार कीजिए हम आपको सुनेंगे।’ हरविंदर चैधरी का कहना है कि उन्हें कई बार इन चुटकुलों के लिए काफी शर्मिंदा होना पड़ता है, ‘मेरे बच्चे शर्मिंदा होते हैं और अपने नाम के आगे कौर या सिंह नहीं लगाना चाहते।’