जिला लखनऊ, ब्लाक काकोरी। लखनऊ की 2011-12 में चौवन ग्राम पंचायत में ग्राम विकास लोहिया योजना के तहत शौचालय बने तो लेकिन इस्तेमाल नहीं हुए। लोगों का कहना है कि इतना कम बजट आया था कि उनसे जो शौचालय बने उनकी गुणवत्ता खराब होने के कारण ज़्यादा दिन तक चल नहीं पाए। दसदोई गांव के लोग बराती लाल, चांदी प्रसाद ने बताया कि हमारे शौचालय में टंकी से जोड़ने वाला पाइप नहीं लगा है। यहीं की काली देवी ने बताया के हमारे शौचालय की टंकी तो बनने के तुरंत बाद ही टूट गई। अब ऐसे में शौच के लिए बाहर नहीं जाएं तो क्या करें? रेशमा देवी, जयपाल का कहना है कि हमारे शौचालय की छत कुछ ही दिनों में टूट गई। इस पंचायत में सब के पास शौचालय तो हैं लेकिन किसी काम के नहीं। जिन लोगों ने सरकारी पैसे के साथ अपना पैसा मिलाकर शौचालय बनवाए उन्हीं के शौचालय इस्तेमाल हो रहे हैं।
प्रधान राजकुमार का कहना है कि इन शौचालयों के लिए बजट मात्र पैंतालिस सौ रुपए था। जबकि एक मजबूत शौचालय बनवाने में कम से कम बारह से पंद्रह हज़ार रुपए लगते हैं। सरकारी कागजों में तो शौचालय बन गए लेकिन गांव में यह एक ढांचा बन गए।
जिला समन्यवयक सतेन्द्र सिंह ने बताया के उस समय पैसे कम मिलने के कारण शौचालय कमजोर बने हैं। अब सरकार की योजना जितनी होती है हम उसी के अंदर काम करते हैं। इसी को देखते हुए 2 अक्टूबर 2014 से स्वच्छ भारत अभियान के तहत इस बजट को बढ़ा कर बारह हज़ार कर दिया गया है।
शौचालय बने मगर इस्तेमाल नहीं हुए
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