शुरुआती निष्कर्षों के आधार पर आंध्रप्रदेश में चार में से तीन पुरुष काम पर होते हैं जबकि दो महिलाएं में से एक 22 वर्ष की उम्र में भी अपने घर पर घरेलू काम करती हुई पाई जाती हैं।
युवा भारत के अध्याय के लिए किये एक शोध के अनुसार, वर्ष 2002 से किये जा रहे वित्त पोषित बाल बचपन गरीबी का एक ऑक्सफोर्ड अध्ययन में, वर्ष 2016 तक अविभाजित आंध्रप्रदेश में 22 साल की उम्र में अधिकतर महिलाएं शादी कर लेती हैं।
ये आंकड़े अन्य अध्ययनों के लिए भी आंकड़े जुटाते हैं और यह दर्शाते हैं कि भारतीय महिलाएं एक महत्वपूर्ण और संभावित रूप से व्यापक नुकसान में हैं।
विश्व आर्थिक फोरम पर विश्व भर में काम करने वालों से जुड़े एक अध्ययन के अनुसार, राजनीतिक सशक्तिकरण, स्वस्थ जीवन जीने की इच्छा और बुनियादी साक्षरता पर पुरुषों और महिलाओं के बीच काफी अंतर बढ़ गया है। यह अंतर 2017 में 21वें स्थान से बढ़कर 108 पर आ गया है।
यदि 2004-05 और 2011-12 के बीच भारत में नौकरी छोड़ने वाली महिलाओं की संख्या देखी जाए तो यह 19.6 करोड़ है जो शंघाई और बीजिंग के बाद दुनिया में तीसरी सबसे अधिक आबादी होगी।
युवा भारत के शिक्षा और प्रशिक्षण से जुड़े आंकड़ों के अनुसार, 2016 तक 11% पुरुष थे जिन्होंने 22 वर्ष की उम्र में शादी की जबकि महिलाएं 56% रही. इनमें भी दलित समुदाय की महिलाएं 70% तक इसमें शामिल रही।
विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर भी 2016 में 39% से 24% पर आ गयी। भारत 185 देशों में 172 स्थान पर आ गया है।