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शिक्षा के ओर दिउ ध्यान

सरकार जब शिक्षक लोग के बहाली कलथिन। ओइ समय कुछ सोच समक्ष के करे के चाही कि केहन शिक्षित लोग के शिक्षक बना रहल छी। आवे वाला दिन में बच्चा के कि भविश्य होतई।
आई उहे दिन देखे के मिल रहल हई। षिक्षक त बहाल हो गेलई उ लोग विद्यालय में जा के डिउटी त पुरा करई छथिन। लेकिन बच्चा के पढ़ाइके कि हाल हो गेल हई उ त अभिभावक लोग ही जनइ छथिन। कुछ अभिभावक के त इहो कहलथिन कि जे बच्चा आठवां पास हो गेलइ। ओइ बच्चा के सुध से किताब भी न पढ़े अबई छई। एक ओर शिक्षा के सतर गिर रहल हई दोसर ओर शिक्षक लोग ही अपन मांग के लेल विद्यालय बन्द कयले छथिन। एइ से नुकसान आइ के बच्चा जे कल के लेल देष के भविश्य हई उनकर हो रहल हई। समय बित गेला से से पष्चात के सीवा कुछ न मिलइ छई। सरकार के आइ न कल कुछ न कुछ कदम उठाबे के ही परतइल लेकिन उहे समय बितगेला के बाद। जेकर नतिजा हइकि जे रूपइया वाला लोग छथिन उनकर बच्चा त प्राइवेट विद्यालय में पढ़ लेइ छथिन। लेकिन सब जगह से मारल जाइछइ गरीब मजदुर वर्ग के आदमी अउर बच्चा
एइ के लेल सरकार के सोचे के चाही कि षिक्षा के स्तर केना बढ़तई। जइसे सब बच्चा के गुनवता पुर्ण शिक्षा मिले।