नई दिल्ली। महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए बनाया गया विधेयक (कानून बनने की प्रक्रिया के लिए एक दस्तावेज पेश किया जाता है) 19 मार्च को संसद में पेष हो चुका है। इसमें सहमति से शारीरिक संबंध बनाने (सेक्स) की उम्र 18 साल ही रखी गई है। हालांकि इस मुद्दे में उम्र को लेकर काफी समय से विवाद था। कुछ राजनीतिक पार्टियां और महिला संगठनों की मांग थी कि उम्र को घटाकर सोलह साल कर देनी चाहिए।16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद सरकार महिला हिंसा के खिलाफ एक अध्यादेष (अस्थायी कानून) लाई थी। इसी अस्थायी कानून को कानून बनने के लिए संसद में पेश किया गया है।
उम्र को लेकर क्या थे तर्क
महिला संगठनों के अनुसार सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र सोलह साल ही रहनी चाहिए। इन संगठनों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में लड़कियों की शादी अधिकतर सोलह साल या फिर इससे भी कम उम्र में हो जाती है। इसके अलावा ज़मीनी सच्चाई है कि सोलह साल की उम्र होते-होते ज्यादातर लोगों के यौन संबंध बन जाते हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) समेत कई अन्य पार्टियों का तर्क था कि अगर शादी की उम्र कानूनन अट्ठारह साल है तो फिर संबंध बनाने की उम्र भी इतनी होनी चाहिए।