बुन्देल खण्ड मा मूर्ति विसर्जन के खुसी मातम मा बदल गे। नाच गाना के जघा मड़इन के बीच लाठी डण्डा चलके अउर बन्दूक से भी जानलेवा हमला करिन। पुलिस प्रसासन के मौजूदगी मा भी इनतान के हमला नहीं रोके जा सकत।
मूर्ति विसर्जन के समय लड़ाई ,झगड़ा ,मारपीट जानलेवा हमला होब कउनौ नई बात न होय। इनतान की घटना रोकै मा पुलिस हर साल नाकाम रहत है। कतौ पुलिस जानत होत भी मामला मा दखल नहीं देत आय। काहे से मूर्ति विसर्जन धर्म अउर आस्था से जुड़ा है। धर्म अउर आस्था से जुड़े मामलन के पीछे मड़ई मौके का फायदा उठावैं से पीछे निहाय। अगर मूर्ति विसर्जन के बात कीन जाय तौ मड़ई मनमाना दारू पी के होश खो देत है नशा से धुत मड़ई गाली, गलौज ,मारपीट अउर जानलेवा हमला करत है।
यहै आड़ से पुरान रंजिश भी भंजावत हैं। जब हर साल यहै हाल होत है, तौ मूर्ति विसर्जन के समय खास व्यवस्था काहे नहीं कीन जात आय। इनतान मा तौ पुलिस प्रसासन का बढ़ चढ़ के व्यवस्था करैं का चाही कि कउनौ तान का दंगा न होय। यहिसे साफ पता चलत है कि पुलिस प्रसासन कउनतान के लापरवाही से काम करत है। यहै कारन आय दिन आत्याचार हिंसा मारपीट अउर हत्या जइसे के मामला सउहैं आवत हैं।
शान्ति व्यवस्था मा नहीं मिलै सहयोग
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