लखनऊ शहर के मुस्लिम समुदाय की लड़कियों ने अपने मोहल्लों से दिखाई अपनी कहानियां। एक साल की ट्रेनिंग के बाद इन लड़कियों ने सात दिनों में अपनी फिल्मों की शूटिंग की और कई ने इन फिल्मों में ऐक्टिंग भी की।
लखनऊ। 2 जुलाई को यहां के सागर इंटरनेषनल होटेल में मुस्लिम समुदाय की लड़कीयों द्वारा बनाई फिल्में दिखाई गईं। इन लड़कियों के काम को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम दिल्ली की संस्था निरंतर और लखनऊ में काम कर रही संस्था सनतकदा ने मिलकर आयोजित किया था।
इन लड़कियों ने सामाजिक बंदिशों पर तीन फिल्में बनाई हैं जिन्हें कार्यक्रम में दिखाया गया।
पांच-पांच लड़कियों की ग्रूप ने हर फिल्म को बनाने पर काम किया। शर्म पर आधारित फिल्म पर काम करने वाली ज़्ारीना ने कहा, ‘हमारी फिल्म दिखाती है कि कैसे लड़कियों में हर तरह की बात को लेकर शर्म होती है। चाहे कोई हमारे साथ छेड़खानी करे या हमें गुप्त अंग मेें कोई बीमारी हो हम शर्म की वजह से कुछ बोल नहीं पाते हंै।’
तरन्नुम की ग्रूप ने खूबसूरती पर फिल्म बनाई। ‘लड़कियों को गोरी और खूबसूरत बनाने के लिए घर वाले भी कितने जतन करते हैं जैसे कि उनके और किसी गुण की कोई कीमत ही न हो। हम यही दिखाना चाहते थे।’
औरतों के काम को कैसे कोई महत्त्व नहीं दिया जाता है – इस पर फिल्म बनाई अफसाना की ग्रूप ने। ‘कितनी बार तो हम खुद भी हमारे घर-परिवार में औरतों के काम और उनकी मेहनत की कीमत को नहीं समझते,’ अफसाना ने कहा।