सरकार स्वास्थ्य विभाग पर लगभग कड़ोरो रूपईया खर्चा करई छथिन। ऐई के लेल छोट-छोट टोला मुहल्ला से लेके प्रखण्ड अउर जिला तक स्वास्थ्य कर्मी से लेके सुविधा अउर व्यवस्था देले छथिन। लेकिन कहीं भी जे नियम लागू कयले छथिन ओई आधार पर काम होइ छई। जइसे अभी भी सीतामढी सदर अस्पताल में फिजिसियन से लेके सर्जन तक आठ ही डाक्टर छथिन।जबकि जिला में सतरह प्रखण्ड हaई। सोचे के बात हई कि कर्मी कम हई त मरेजी के की हाल होतइ। जे रूपइया वाला लाग हई उ प्रइवेट डाक्टर या दबाइ भी खरीद लेइ छथिन। लेकिन मारल जाइ छई मजदूर लाग।जबकि ज्यादा सुविधा अउर व्यवस्था ओही लोग के लेल हई। कयला कि उनका सबके रूपइया कम रहई छई।जेकर नतिजा गरीब के इलाज भी न हो पवइ छई अउर ओइ दिन के रोजी रोटी भी मारल जाइ छई।
सरकारज जतेक सुविघा द।ेले छथिन ओतेक विभागीय लोग घ्यान देइतथिन।मरेजी लोग अतेक न परेशान होईतथिन।
व्यवस्था रहे से कोन फायदा?
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