महोबा जिले में पानी की टंकी सरकारी कागज में तो चालू हालत चढ़ी हे। पे ऊखी सच्चाई देखी जाय तो कछू ओर हे। गांवन में टंकी तो बनवा दई हे, पे ऊखी सुविधा कछू नई मिलत हे। कोनऊ टंकी बंद हे तो कोनऊ की पाइप लाइन फटी हे, ओर कोनऊ-कोनऊ टंकी में तो पानी ही नई छोड़ो जात हे। हम बात करे चाहत हंे चरखारी ब्लाक के खरेला कस्बा में धरी टंकी के ई टंकी के पाइप लाइन फटी हे। कबरई ब्लाक के पचपहरा को मजरा तिन्दुही ओर जैतपुर ब्लाक को गांव अतरपठा की टंकी बंद परी हे। जीसे पानी आदमियन के घरन तक नई पोंहच पाउत हे। आदमियन की समस्या तभई खत्म हो सकत हे जभे आदमियन के घरन तक पानी पोहोचहे। सरकार तो गांव में टंकी बनवा के आपन नाम कमा लेत हे। कनेक्शन लेय वाले आदमियन से बराबर वसूली कर लेत हे। आदमियन खा पानी मिले चाहे न मिले। सवाल जा उठत हे कि सरकार आपन व्यवस्था बस काय देखत हे। जभे टंकी बंद परी हे या फिर पाइप लाइन फटी हे ओर पानी आदमियन के घरन तक नई पोहच पाउत हे तो बिल काय भेजो जात हे। सोचे वाली बात तो जा हे कि अगर बिल भेजो जात हे तो विभाग वाले पाइप लाइन ओर टंकी की मरम्मत काय नई कराउत हें? आखिर पाइप लाइन ओर टंकी की व्यवस्था के जिम्मदारी कीखी आय? प्रशासन की जिम्मेदारी टंकी बनवाये बस से पूरी नई होत हे ऊखी व्यवस्था भी करे का चाही?
व्यवस्था की जिम्मेदारी कीखी आय
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