विद्यालय जेकरा लोग शिक्षा के मंदिर कहई छथिन। लेकिन एई मंदिर के पुजारी शिक्षक के एतना लापरवाही करई छथिन कि जेकर नतिजा बच्चा के भुगते परई छई। पढ़ाई के समय भी बच्चा कहां रहई छई तेकर पता शिक्षक के न रहई छई।
अभी हाल ही मे बथनाहा के विद्यालय के चार बच्चा जामून तोड़े चल गेलथिन। जेइमे उनका सबके करेंट लग गेलई। बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गेलथिन। ताजूब के बात त इ हई कि अेाई समय दिन के अढ़ाई बजइत रहई। जेई समय बच्चा के विद्यालय में रहे के रहई ओई समय बच्चा खेलइत रहई।
इ शिक्षक के लापरवाही नहई त अउर की हई? शिक्षक एकरा इ कह के टाल देलथिन कि बाउन्ड्री न हई जेई कारण बच्चा सब इधर हो जाई छई। अब सवाल इ उठई छई कि बच्चा पढ़े के समय बाहर कयला गेलई? एई बात से इ साफ पता लगई छई कि विद्यालय मं अनुशासन नाम के कोई चिज न हई। अगर विद्यालय में रहतियई शिक्षक ध्यान देले रहतथिन त इ दिन न देखे के मिलतियई।
विद्यालय में अनुशासन
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