जिला महोबा ब्लाक चरखारी गांव कीरतपुरा सिजौरा। महोबा जिले के कई गांव भले ही राम मनोहर लोहिया ग्राम घोषित किये जा चुके हैं, पर विकास के मामले में वो अभी भी पिछड़े हैं। साल 2012-2013 में जिले के 16 और 2013-2014 में यहां के 18 गांव चुने गये थे। उदाहरण के लिये चरखारी ब्लाक के सिजौरा गांव को मार्च 2013 में लोहिया गांव बनाया गया है। पर उस गांव में न तो सड़क न ही तालाब है। यहां तक बिजली के तार इतने ढीले पड़े हंै कि लोगों के घरों और छतों पर रखे हैं, इससे जान को भी खतरा है।
ऐसे ही उसी ब्लाक का कीरतपुरा गांव है जिसे मार्च में लोहिया ग्राम पंचायत बनाया गया है। पर विकास के नाम पर वहां भी कुछ नहीं हुआ। जबकि इन दोनांे गांवों में एक साल पहले जांच की गयी थी। जब ग्राम प्रधानों से बात की गई तो सिजौरा के प्रधान रमेश सिंह ने बताया कि तीन महीने हो गये अभी तक बजट नहीं आया। न ही कोई शासनादेश जबकि 6 महीने में काम पूरा हो जाना चाहिए। ऐसे ही कीरतपुरा प्रधान सरोज देवी के पति चतुर सिंह ने भी बताया कि अभी तक कोई बजट नहीं आया है।
सहायक विकास अधिकारी छेदी लाल ने बताया कि अभी सरकार के यहां से बजट नहीं आया है। इसलिए अभी काम चालू नहीं हुआ है। जब बजट आ जायेगा तो काम चालू करा दिया जायेगा।
डाक्टर राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना
-अति पिछडे़ गांव के विकास के लिये साल 2012-13 में इस योजना को यूपी की समाजवादी पार्टी ने शुरू किया था।
– पहले चरण, 2012-13 में सरकार पूरे राज्य से एक हजार गांवों का चुनाव कर रही है।
– ऐसे गांव जहां सड़क, पानी, बिजली की बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, उन गांवों को राम मनोहर लोहिया ग्राम चुना जाता है।
-सरकार ने के 22 विभाग मिलकर विकास से जुडी 36 योजनाओं को लागू करेंगे।