भेड़ पालना ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना से जुड़ा हैं। इससे हमें मांस, दूध और ऊन जैसी सामाग्री मिलती है। झांसी जिले के बबीना ब्लाक के गांव चन्द्रनगर में गड़रिया जाति के लोग रहते हैं, जो भेड़ पालने का काम करते हैं और इनके आय का मुख्य स्त्रोत भेड़ पालन ही है।
कोमल का कहना है कि हम बारह-तेरह साल से चालिस भेड़ पाले हैं। साल में तीन बार इनके बाल काटे जाते है फिर पचास से सत्तर रूपये किलो बेंचे जाते हैं। भेड़ का दूध भी काम में आ जाता है, गांव के और लोग भी भेड़ पाले हैं। देव छटीया का कहना है कि अब भेड़ के बाल नहीं बिकते हैं लोगों को मुफ्त में दे देगें नहीं तो फ़ेंक देगें।
इन्हीं बालों से इतने मंहगे ऊनी कपड़े बनाये जाते हैं, लेकिन अब इनका रोजगार खतरे में है। इन गांवों में उत्पादन तो होता है लेकिन व्यवसाय नहीं हो रहा है।
रिपोर्टर- सफीना
Published on Mar 29, 2018