मई के महिना की गर्मी ने आदमियन खा झगझोर के धर दओ हे। केऊ परिवार की तो रेजीरोटी छिन ई हे। आदमी सुबेरे से ही घर के भीतर किमार बन्द करके घुस जात हे। ई गर्मी लू ओर धूप में सबसे ज्यादा रिक्सा चलाये वाले ओर मजदूरी करें वाले आदमी खा झेले खा परत हे। काय से ई आदमियन खा सुबेरे से काम करें खा निकरने परत हे। एसी धूप ओर लू से तो पूरो शरीर जलत हे। पे एसी कहूं सुविधा नइयां जिते आदमी धुप से बचे के लाने बेठ सके।
हम बात करत हे महोबा जिला के कबरई कस्बा ओर बेलाताल जेसे कस्बन की? एते न तो पिये की पानी की सुविधा हे ओर न ही धूप से बचे की। जभे की हर साल गर्मी लू ओर धूप रहत हे, पे आज तके ई जघन में आज तक एक प्रतिक्षालय नई बनो हे ओर न ही पिये के लाने पानी की सुविधा हे। आदमी पाउच को पानी पीके आपन प्यास बुझाउत हे। जीखे पास खुला रूपइया नइयां तो ऊ प्यासो रहत हे जा फिर हैण्डपम्प की तलाशत रहत हे। जभे ई एसे कस्बा हे जिते से सौकड़न गांव के आदमी साधन को इन्तजार करत हे।
सबसे ज्यादा सोचे वाली बात तो जा हे कि मार्च के महिना से गर्मी ओर धूप होंय लगत हे। फिर सासन ईखे लाने काय नई ध्यान देत हे। लू ओर धूप के कारन केऊ तरहा की बिमारी फेलत हे, अस्पतालन में लाइन लगी रहत हे। अगर आदमी की लू धूप के कारन सफर करत समय बिमार होत हे, तो ईखो जिम्मेंदार कौन हे। चैरहान में पानी ओर छाया की सुविधा करे की जिम्मेंदारी किखी आय? अभे तक सुविधा नई हो पाई आखिर ईखो का करन हे। जवाब को इन्तजार हे।