खबर लहरिया बुंदेलखंड ललितपुर जिले में 150 बच्चें पर एक शिक्षक, कैसे पढ़ेंगें बच्चें और बढ़ेंगे बच्चें

ललितपुर जिले में 150 बच्चें पर एक शिक्षक, कैसे पढ़ेंगें बच्चें और बढ़ेंगे बच्चें

मानक के हिसाब से तीस बच्चों पर एक मास्टर जबकि जूनियर विद्यालय जब की जूनियर विद्यालय में चालिस बच्चों पर एक मास्टर होना चाहिये।
छह से चौदहा साल तक के सभी बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का अधिकार देश में कितना प्रभावी है?इसकी असलियत दिखता है ललितपुर जिले के महरौनी ब्लाक का खिरिया भारंजू गांव। यहां के प्राथमिक विद्यालय में एक सौ पचास छात्रों में एक मास्टर है। देशपत का कहना है कि हमारी अच्छे से पढ़ाई नहीं हो पाती है एक ही मास्टर है। हरी बाई ने बताया कि स्कूल में एक ही मास्टर है तो उन्हें कभी किसी काम से बाहर जाना होता है तो बच्चें स्कूल में खेलते रहते हैं।हम अनपढ़ हैं तो  बच्चों को पढ़ाना चाहतें हैं पर एक ही मास्टर होने के कारण स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है। रेखा का कहना है कि मास्टर जब महरौनी जातें हैं तो बच्चों की छुट्टी कर देतें हैं हम गरीब लोग हैं तो बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाते है।हमारे पास भी पैसा होता तो प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाते।
भारती ने बताया कि मैं कक्षा पांच में पढ़ती हूँ लेकिन हमारे स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है। सुधा का कहना है कि बच्चें स्कूल में खेलते रहते हैं कभी क्लास में बैठे नहीं मिलते हैं। शिक्षामित्र बलवंत सिंह का कहना है कि दो कमरों में पांच क्लास लगातें हैं बारी-बारी  से सभी क्लासों को पढ़ातें हैं। उसी बीच सरकारी काम भी करते हैं। खण्डशिक्षा अधिकारी योगेन्द्रनाथ का कहना है कि स्कूलों में एक मास्टर का पढ़ाना आम बात है क्यों कि ऐसे कई स्कूल हैं जो एक मास्टर देख रहें हैं।
रिपोर्टर-सुषमा  

Published on Dec 11, 2017